Shri Vishnu Chalisa in Hindi: श्री विष्णु चालीसा, जानें महत्व और लाभ

Sri Vishnu Chalisa

Sri Vishnu, the protector of the universe is one of the trinity gods of Hinduism comprising of Brahma and Shiva. He is also known by the names of Narayana, Hari. Before the universe was created, Vishnu is believed to have been asleep in a vast sea of nothingness. Vishnu is famous for his incarnations known as avatars. Being the protector of the universe, his incarnations are responsible to protect the world from evil powers and prevail peace and order. Vishnu has incarnated nine times. The tenth incarnation, Kalki, is believed to arrive close to the end of the world. Garuda, the mythological bird is his vehicle/vahan. His consort is Lakshmi or Sri, Goddess of Wealth and Fortune. Their abode is Vaikuntha. It is said that Vishnu is the god of Time, Space and Life. It is also said that he is the God of Joy and that his footsteps are impregnated with infinite sweetness and felicity. Vishnu Chalisa recitation provides peace of mind, prosperity , blessings of Sri Vishnu and salvation.

विष्णु चालीसा

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप और अनंत नाम हैं। एकादशी और गुरवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पुराणों में बताया गया है कि भगवान विष्णु की पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं। ऐसा मान्यता है कि अगर भक्त हर गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत्त पूजा करते हैं और बताए गए उपाय अपनाते हैं, तो उनके सारे संकट दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा के अलावा आप विष्णु चालीसा का पाठ करने से  सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। ऐसे में जो लोग अपने घर में नियमित भगवान विष्णु चालीसा पढ़ते हैं, उनके घर हमेशा खुशियों से भरे होते हैं।

|| दोहा ||

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

|| विष्णु चालीसा ||

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

|| इति श्री विष्णु चालीसा ||

 

विष्णु चालीसा का महत्व

विष्णु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। विष्णु की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। विष्णु के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। विष्णु शक्ति-ज्ञान के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।

विष्णु चालीसा पाठ की विधि

  1. प्रातः जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत्त हो कर साफ पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
  2. अब श्रीहरि विष्णु की प्रतीमा के सामने घी का दीपक जला कर मन में संकल्प करें।
  3. मंदिर या पूजा घर में आसन लगा कर बैठ जाएं और फिर विष्णु चालीसा का पाठ आरंभ करें।
  4. इसके बाद धूप दीप करके भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
  5. भोग में तुलसी की पत्ती अवश्य डालें। तुलसी बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
  6. घर के सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।

विष्णु चालीसा पाठ के लाभ

  1. विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें सुख,सौभाग्य, समृद्धि के साथ ही साथ धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  2. विष्णु चालीसा का पाठ भर करने से हमारे सभी कष्टों व समस्याओं का निवारण होता है।
  3. विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें, भीतर सकारात्मक मानसिक शक्ति की उत्पत्ति होती है।
  4. गुरुवार के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें मोक्ष मिलता है।
  5. विष्णु चालीसा का पाठ करने से हमें, शक्ति व ज्ञान की प्राप्ति होती है।

When to read Vishnu Chalisa?

To seek the blessings of the creator of the world as per beliefs, read out the chalisa early morning after bathing. Lord Vishnu is considered the epitome of love and kindness.

Shri Vishnu Chalisa Lyrics in English

॥ Doha ॥
Vishnu Sunie Vinay Sevak Ki Chitalay ।
Kirat Kuchh Varnan Karoon Dijai Gyan Batay ।

॥ Chaupai ॥
Namo Vishnu Bhagwan Kharari ।
Kasht Nashavan Akhil Bihari ॥

Prabal Jagat Mein Shakti Tumhari ।
Tribhuvan Phail Rahi Ujiyari ॥

Sundar Roop Manohar Soorat ।
Saral Swabhav Mohani Moorat ॥

Tan Par Pitambar Ati Sohat ।
Baijanti Mala Man Mohat ॥ 4 ॥

Shankh Chakr Kar Gada Biraje ।
Dekhat Daity Asur Dal Bhaje ॥

Satya Dharm Mad Lobh Na Gaje ।
Kam Krodh Mad Lobh Na Chhaje ॥

Santabhakt Sajjan Manaranjan ।
Danuj Asur Dushtan Dal Ganjan ॥

Sukh Upajay Kasht Sab Bhanjan ।
Dosh Mitay Karat Jan Sajjan ॥ 8 ॥

Pap Kat Bhav Sindhu Utaran ।
Kasht Nashakar Bhakt Ubaran ॥

Karat Anek Roop Prabhu Dharan ।
Keval Aap Bhakti Ke Karan ॥

Dharani Dhenu Ban Tumahin Pukara ।
Tab Tum Roop Ram Ka Dhara ॥

Bhar Utar Asur Dal Mara ।
Ravan Adik Ko Sanhara ॥ 12 ॥

Aap Varah Roop Banaya ।
Haranyaksh Ko Mar Giraya ॥

Dhar Matsy Tan Sindhu Banaya ।
Chaudah Ratanan Ko Nikalaya ॥

Amilakh Asuran Dwand Machaya ।
Roop Mohani Aap Dikhaya ॥

Devan Ko Amrt Pan Karaya ।
Asuran Ko Chhavi Se Bahalaya ॥ 16 ॥

Kurm Roop Dhar Sindhu Majhaya ।
Mandrachal Giri Turat Uthaya ॥

Shankar Ka Tum Phand Chhudaya ।
Bhasmasur Ko Roop Dikhaya ॥

Vedan Ko Jab Asur Dubaya ।
Kar Prabandh Unhen Dhundhwaya ॥

Mohit Bankar Khalahi Nachaya ।
Usahi Kar Se Bhasm Karaya ॥ 20 ॥

Asur Jalandhar Ati Baldai ।
Shankar Se Un Kinh Ladai ॥

Har Par Shiv Sakal Banai ।
Keen Sati Se Chhal Khal Jai ॥

Sumiran Keen Tumhen Shivarani ।
Batalai Sab Vipat Kahani ॥

Tab Tum Bane Munishwar Gyani ।
Vrinda Ki Sab Surati Bhulani ॥ 24 ॥

Dekhat Tin Danuj Shaitani ।
Vrinda Aay Tumhen Laptani ॥

Ho Sparsh Dharm Kshati Mani ।
Hana Asur Ur Shiv Shaitani ॥

Tumne Dhruv Prahalad Ubre ।
Hirankush Adik Khal Mare ॥

Ganika Aur Ajamil Tare ।
Bahut Bhakt Bhav Sindhu Utare ॥ 28 ॥

Harahu Sakal Santap Hamare ।
Krpa Karahu Hari Sirajan Hare ॥

Dekhahun Main Nij Darash Tumhare ।
Deen Bandhu Bhaktan Hitkare ॥

Chahat Apka Sevak Darshan ।
Karahu Daya Apani Madhusoodan ॥

Janoon Nahin Yogy Jap Poojan ।
Hoy Yagy Stuti Anumodan ॥ 32 ॥

Shiladaya Santosh Sulakshan ।
Vidit Nahin Vratabodh Vilakshan ॥

Karahun Apka Kis Vidhi Poojan ।
Kumati Vilok Hot Dukh Bhishan ॥

Karahun Pranam Kaun Vidhisumiran ।
Kaun Bhanti Main Karahu Samarpan ॥

Sur Muni Karat Sada Sevakai ।
Harshit Rahat Param Gati Pai ॥ 36 ॥

Deen Dukhin Par Sada Sahai ।
Nij Jan Jan Lev Apnai ॥

Pap Dosh Santap Nashao ।
Bhav-bandhan Se Mukt Karao ॥

Sukh Sampatti De Sukh Upjao ।
Nij Charanan Ka Das Banao ॥

Nigam Sada Ye Vinay Sunavai ।
Padhai Sunai So Jan Sukh Pavai ॥

This prayer should be sung with love ,After making the great Lord sit in your heart,Basil flowers should be offered to Shaligram,Understanding that the body is transient you should leave out all pride,And then Know that the lord is the only reality and the world is due to him,Also do basic study on truth and find that “Om” is Brahmam,And then you will understand who you are and Would reach the gates of salvation,And if peace and goodwill are there , You would definitely get the fruits,And if you know these forty verses, God will be on your side.If these forty verses are read daily and you wish victory to Vishnu,The Lord Of Dwaraka would give you four rewards and nine treasures.